सब इंस्पेक्टर समेत 3 सिपाहियों को 3 वर्ष की सजा ,26 हजार 500 रुपये के लगा अर्थदंड,जानिए पूरा मामला
34 साल पुराने मामले में उपनिरीक्षक सुदामा यादव समेत 3 सिपाहियों को 3 वर्ष के सजा 26 हजार 500 रुपये के लगा अर्थदंड
ग्लोबल भारत डेस्क, 1 फरवरी।
गाजीपुर।मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट स्वपन आनन्द की अदालत शनिवार को मारपीट के 34 साल पुराने मामले में उपनिरीक्षक सुदामा यादव समेत 3 सिपाहियों को 3 साल के कारावास के साथ ही प्रत्येक पर 26 हजार 500 रुपये के अर्थदंड से दण्डित किया है और साथ साथ अर्थदंड की राशि से 53 हजार रुपये पीड़ित पक्छ के विधिक उत्तराधिकारी को देने का आदेश दिया है और साथ ही आदेश की एक प्रति जिला मजिस्ट्रेट को भेजने का आदेश दिया है।
अभियोजन के अनुसार इस प्रकार है कि कुबेर नाथ सिंह को रामअवतार सिंह के दरवाजे से तत्कालीन थानाध्यक्ष मरदह एवम अन्य पुलिस कर्मचारियों द्वारा दिनांक 14 अप्रैल 1991 को समय लगभग 10 बजे दिन में इस लिए गिरफ्तार किया गया कि उन्होंने पुलिस के अमर्यादित वेवहार का विरोध किया था और उन्हें थाना से ले जाते समय दो बार रास्ते में तथा थाने पर अकारण मार कर साधारण यवम गंभीर चोटें पहुचाई गई और तत्कालीन थानाध्यक्ष MA काजी यवम उपनिरीक्षक मुन्नी लाल कनौजिया, उपनिरीक्षक सुदामा यादव,मुख्य सिपाही146 इंद्र कुमार दुबे,सिपाही 23 छेदी लाल,सिपाही 185 रामदुलारे,कपिलदेव सिंह ,239 धर्म देव तिवारी,366 श्यामनारायन,466 भीम प्रसाद,277 ईश नारायण लाल,आदि ने अपने पद का दुरुपयोग करके पारश नाथ सिंह ,अवधनारायण सिंह से साठ गांठ करके अकारण कुबेर नाथ सिंह को गिरफ्तार करके मारा पीटा गया तथा गंभीर चोटे पहुचाई गई और उनके विरुद्ध फर्जी मुकदमे सोच समझ कर पंजीकृत किये गए और झूठा सबूत तैयार कर उनको फर्जी मुकदमे में चालान कर दिया वादी हरिकेश सिंह ने उच्चधिकारियों को आवेदन दिया उच्चधिकारी के आदेश से मुकदमा थाना मरदह में दर्ज हुए जिसकी विवेचना CB CID ने किया और दोषियों के विरुद्ध न्यायालय में आरोप पत्र पेश किया।
जिसमे से माननीय न्यायालय में आरोपी सुदामा यादव ,ईश नारायण, धर्मदेव तिवारी, व भीम सेन का विचारण शुरू हुआअभियोजन की तरफ से सहायक अभियोजन अधिकारी राजविजय सिंह ने कुल 7 गवाहो को पेश किया शनिवार को दोनो तरफ की बहस सुनने के बाद न्यायालय ने चारों आरोपियों को उपरोक्त सजा सुनाई
आरोपियों ने अपील दाखिल करने हेतु माननीय न्यायालय में जमानत आवेदन दिया जिस पर न्यायालय ने चारों आरोपियों को जमानत बंध पत्र पर देर शाम रिहा कर दिया और साथ ही साथ न्यायालय ने अपने फैसले में इस बात का उल्लेख करते हुए की प्राचीन वाद का निस्तारण कराने में दोनो तरफ के विद्वान अधिवक्ता को धन्यबाद दिया है।